Tuesday, September 23, 2014

जीव दया पालणी

जीव दया नित राख
अरु मान गुरु फरमाणो।
वन’जीव तांही तजी काया,
पंथ लाजो शैतानो॥
पंथ लाजो शैतानो,
मृघ न जीवन दीन्हों।
पायो बैकुंठे वासो, ज्यूं
कर्म विशेष कीन्होँ॥

गुरु राह जद चाल्यो
शैतानो, पंथा मान बढ़ायो।
जीव बचावत मौत आयी
कदम न पीछे बढ़ायो॥
कदम आगे बढ़ायो,
हरिण तांही जीवन दीन्हों। 
पायो जन्म मरण छुटकारो, ज्यूं
कर्म विशेष कीन्होँ॥

अमर हुयो शहीद शैतान
बढ़ायो पंथ रो मान।
बच्चे, पत्नी नम भई
जद मिल्यो मान सम्मान॥
मिल्यो मान सम्मान
शहीद रो दर्जो दीन्हों।
जग फैली शौर्य गाथा ज्यूं
कर्म विशेष कीन्होँ॥

अमर शहीद शैतान को
‘जय’ नित निवाव शीश।
धन्य हुई मात बीरादे
जो पायो ‘शैतान’ आशीष॥
पायो शैतान आशीष
प्रभु थे उपकार कीन्होँ। 
पंथ हुयो श्रेष्ठ, ज्यूं
कर्म रो फल लीनो॥

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